नेट पर भाषा
इंटरनेट पर व्यावहारिक रूप से भाषा को लेकर कई तरह की दिक्कतें अकसर आती है। इस बारे में आज प्रस्तुत हैं कुछ ऐसे टिप्स जिन पर अमल करने से नेट पर भाषा समृद्ध हो सके।
हिन्दी में नेट की भाषा को बहुत सारे फांट्स और विधियों से इस्तेमाल किए जाने की वजह से परेशानी होती है। जरूरत इस बात की है अंग्रेजी की तरह हिन्दी की सर्वस्वीकार्यता एक रूप में हो।
इस बारे में जो सरकारी साफ्टवेयर मौजूद है वह हर जगह कामयाब नहीं है। इसके मुकाबले अब यूनिकोड ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने से काफी सुविधा हुई है। ऐसे में सभी को इसे अपनाना चाहिए।
अन्य टाइप इस्तेमाल करने वालों को चाहिए कि वे पीडीएफ फाइल पर अपने टैक्स्ट डाले ताकि उन्हें अन्य लोग भी अपने सिस्टम पर पढ़ सकें भले ही उनके पास आप वाला फॉंट न भी हो।
यह विधि अन्य आंचलिक भाषाओं के मामले में अपनाना ठीक होगा। इसके अलावा हिन्दी की जानकारी कश्मीर से कन्याकुमारी तक विकिपीडिया जैसे फॉंट में ही सारे देश में हो तो सुविधा होगी।
हिन्दी ज्ञान इंग्लिश, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ जानने वालों के लिए नि:शुल्क डाउनलोड की जाने वाले फार्म में सबको मिलनी चाहिए।
इसके लिए केन्द्रीय व राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालय मिलकर काम कर सकते हैं। सभी भाषाओं के शब्दकोष भी सरकार की तरफ से देशवासियों को उपलब्ध कराए जाएं तो सार्थक संवाद के पुल मजबूत हो सकते हैं।
उच्च शिक्षा, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी जैसे व्यावसायिक शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय की सहायता से और व्यावसायिक उपक्रमों से अनुदान से लेकर शब्दों की साइट बनाई जाए।
प्रयोगकर्ता को शब्दकोश में अपने द्वारा एकत्रित किए शब्द डालने की सुविधा होनी चाहिए। जनसाधारण को भी इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी को अनुवादित कर अपने, अपने बच्चों, अपने मित्रों देकर जनसाधारण को मानसिक विकास में सहायता के लिए मिलनी चाहिए।
हिन्दी शब्दावली डालने के लिये उनसे सहयोग किया जाए व उसका सही प्रचार किया जा सके। समाचार पत्र व हिन्दी पत्रिकाओं की टीम इस काम में हाथ बंटा सकती है। नि:शुल्क हिन्दी ज्ञान विदेशियों तक बड़े पैमाने पर पहुंचाने से भारत को जानने-समझने और टूरिज्म को बढ़ावा देने में में भी मदद मिल सकेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें