इंटरनेट इस युग के सबसे चमत्कारिक आविष्कारो मे से है। इसने जीवन को काफी हद तक सरल बना दिया है लेकिन बात ग्लोबल वामिग के नजरिये से करे तो इसने काफी नुकसान भी पहुंचाया है। जिस तरह से हम इंटरनेट का अंधाधुंध प्रयोग करते है, उसने तो इसे और भी खलनायक बना दिया है। क्या तुम जानते हो कि सामान्य वेबसाइट को सर्फ करने मे प्रति सेकेड लगभग 20 मिलीग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है? यदि ये बेवसाइट वीडियो, एनिमेशन से जुड़े हो तो यह उत्सर्जन प्रति सेकेड 300 मिलीग्राम तक पहुंच जाता है। वैानिक बताते है कि वर्चुअल रियलिटी गेम मे यह उत्सर्जन 1,000 मिलीग्राम तक पहुंच जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, इससे सालाना 1752 किलोवाट घंटे बिजली खर्च होती है। तुम्हे यह भी जानकारी होनी चाहिए कि ऑन स्थिति मे कंप्यूटर लगभग 175 वाट बिजली खर्च करता है। चालू स्थिति मे पड़ा कंप्यूटर भले आप उस पर काम न कर रहे हो, 40 से 80 ग्राम तक कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। ग्लोबल वामिग की खतरनाक स्थिति को देखते हुए हमे इन पर लगाम कसनी चाहिए। भले ही इनका उपयोग रोकना संभव न हो, लेकिन कई ऐसे बिंदु है जिन पर गौर कर हम कार्बन के उत्सर्जन पर नियंत्रण पा सकते है- यदि तुम एक घंटे से अधिक समय तक कंप्यूटर पर काम करने वाले नही हो, तो मॉनिटर, सीपीयू, ब्रॉडबड कनेक्शन, स्कैनर, प्रिंटर आदि को बंद कर दो। ऐसे मे बिजली भी बचेगी और वातावरण गर्म होने से भी बचा रहेगा। विशेषो के मुताबिक, 15 मिनट से अधिक समय तक कंप्यूटर से दूर रहने पर अपना मॉनीटर बंद कर दो। याद रखो, रंग-बिरंगे स्क्रीन सेवर बिजली की खपत को और बढ़ा देते है। हमारी एक सामान्य-सी आदत है कि हम अनावश्यक रूप से वेबसाइटो को खुला छोड़ देते है, लेकिन इनसे बच कर सालाना कई किलोवाट तक ऊर्जा बचाई जा सकती है। खासतौर से ये वेबसाइड अगर ऑडियो, वीडियो, एनिमेशन और ग्राफिक्स से जुड़े हो तो यह सावधानी और भी जरूरी है। जब जरूरी हो, तो ब्रॉडबड कनेक्शन चालू रखो। अगर आप इसे बंद न करके सामान्य कामकाज जारी रखते है तो इस बीच हो सकता है इंटरनेट से जुड़ी कई क्रियाएं आपके कंप्यूटर पर चलती रहे। कई बार तो यह पता नही चलता और आपका इंटरनेट बिल भी बढ़ता है और ऊर्जा की खपत भी। बेवजह की डाउनलोड से बचना चाहिए। इसी तरह डाउनलोड की जाने वाली सामग्री को किसी फोल्डर मे व्यवस्थित रखने की कला भी आनी चाहिए, क्योकि ऐसे मे आप अपने पास मौजूद सामग्री को ही बार-बार डाउनलोड करने से बचते है। ऐसे कई वेबसाइट होते है, जिनकी स्क्रीन काली और गहरी होती है, उन्हे देखने पर पुराने सीआरटी मॉनीटरो मे अपेक्षाकृत कम ऊर्जा खपत होती है। आप गूगल सर्च करना चाहते है तो यह काम ब्लैकलकॉम पपप.ुेमजोन.जहल के जरिये कर सकते है। इनके परिणाम तो गूगल के सर्वर के जरिये ही आते है लेकिन स्क्रीन मे कालापन होने से कम ऊर्जा की खपत होती है। यदि आपके ब्राउसर मे होमपेज के तौर पर कई वेबसाइटे दर्ज है तो नेट के कनेक्ट होते ही वे सबकी सब एक साथ खुल जाती है। यह आपके लिए तो सुविधाजनक है, लेकिन पर्यावरण के लिए नही। जब जरूरी न हो, तो सिर्फ एक वेब पेज को होम पेज के रूप मे सेट कर रखे। पूजा तिवारी |
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