कॅरिअर की हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और कॅरिअर
का चुनाव हमारे जीवन के सर्वाध्कि कठिन फैसलों में से एक है। इससे हमारे भविष्य की
दिशा तय होती है तथा हमारी जीवन शैली निर्धारित होती है। विकल्पों की विविध्ता की
वजह से कॅरिअर को चुनना आज कोई आसान पफैसला नहीं है। ऐसा अनुमान है कि हर वर्ष
लाखों शिक्षित रोजगार चाहने वाले व्यक्ति स्कूलों और कॉलेजों से बाहर निकलते हैं।
अपर्याप्त ज्ञान और अवास्तविक व्यावसायिक आकांक्षाओं के कारण इनमें से बड़ी संख्या में
परंपरागत कॅरिअर, जैसे कि सिविल सेवाएं, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, शिक्षा, रक्षा सेवाओं
आदि की तरपफ दौड़ते हैं, जहां पर उनके लिए सीमित विकल्प होते हैं। उन व्यक्तियों के लिए
हजारों की संख्या में रोजगार के विकल्प मौजूद हैं जो अपनी अभिरुचि तथा क्षमताओं से अवगत
हैं तथा सही सूचनाएं उपलब्ध् कराते हैं। पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में कॅरिअर का चुनाव
पुस्तकालयाध्यक्ष का मूल उद्देश्य ज्ञान का विस्तार करना है। पुस्तकालयों को अब विश्व
स्तर पर महत्वपूर्ण संस्थानों के रूप में मान्यता प्राप्त है। लोकतंत्रा के व्यापक फैलाव,
शिक्षा के विस्तार, अनुसंधन गतिविधियों के तीव्रीकरण तथा रिकार्डिड ज्ञान के उत्पादन में
त्वरित वृद्धि ने पुस्तकालयों के विस्तार और उनकी सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान
किया है। शिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि से पुस्तकालयों की आवश्यकता तथा महत्व में भी
वृद्धि हुई है। अतः पुस्तकालयाध्यक्ष का कार्य एक उभरता क्षेत्रा है जिसने ज्ञान की दुनिया में
अब अलग विषय-क्षेत्रा के रूप में स्थान अर्जित कर लिया है। इन पुस्तकालयों के प्रबंध्न के लिए
अच्छी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताएं रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
जो व्यक्ति पुस्तकालय के कॅरिअर में प्रवेश करन के इच्छुक हैं उनके पास आवश्यक अकादमिक
तथा व्यावसायिक योग्यताएं होती हैं जिससे वे पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में सपफलतापूर्वक कार्य
करने में सक्षम हो सकें। पुस्तकालयों द्वारा प्रदत्त सेवाओं को अब वर्तमान में उसकी सूचना सेवाओं की भूमिका के रूप में
परंपरागत प्राचीन पुस्तकालय कार्यों से मिश्रित करते हुए पुस्तकालय और सूचना सेवाएं'' के
नाम से पुकारा जाता है। कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने भी सूचना सेवाएं प्रदान करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। इस विषय क्षेत्रा से दो अन्य शब्द, जैसे कि
डॉक्यूमेंटेशन तथा सूचना भण्डारण और सुधर'' भी जुड़ गए हैं। अतः पुस्तकालयों के
अलावा अब प्रलेखन केंद्र और सूचना केंद्र भी काम कर रहे हैं। विभिन्न नामों का प्रयोग होने
के बावजूद इस विषय क्षेत्रा में जरूरतमंदों के लिए सूचना सेवाएं उपलब्ध् होती हैं।
शैक्षणिक अवसर परम्परागत पाठ्यक्रम-पुस्तकालय और सूचना विज्ञान मात्रा एक अकादमिक विषय-क्षेत्रा
नहीं है। यह एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है जिसमें व्यावहारिक, प्रेक्षण तथा प्रायोगिक अध्ययन शामिल हैं। इस विषय-क्षेत्रा में शिक्षा और प्रशिक्षण भारत में कई स्तरों पर उपलब्ध् है। विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित पुस्तकालय विज्ञान में औपचारिक शिक्षा की शुरुआत छह दशक से ज्यादा पुरानी नहीं है। इससे पूर्व यह प्रशिक्षण विभिन्न राज्यों में पुस्तकालयाध्यक्षों की एसोसिएशन द्वारा संचालित किए जाते थे। सामान्यतः ये छः माह की अवधि का होता है जिसके तहत प्रमाण-पत्रा प्रदान किए जाते हैं।
विश्वविद्यालयों द्वारा शुरू में एक वर्ष की अवधि के डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए गए जिन्हें बाद में अतिरिक्त पाठ्यक्रम जोड़ते हुए डिग्री स्तर का कर दिया गया। कई संस्थानों द्वारा अब भी प्रमाण-पत्रा पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। छह माह की अवधि का प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम सीएलआईएससी १०+२ परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों के लिए खुला है। विश्वविद्यालयों के अलावा पुस्तकालयाध्यक्षा की व्यावसायिक एसोसिएशन भी पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में प्रमाण-पत्रा पाठ्यक्रम संचालित करती है। एक वर्ष की अवधि का डीएलआईएससी पाठ्यक्रम ज्यादातर दूरस्थ शिक्षण माध्यम के जरिए उपलब्ध् हैं। इस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश योग्यता 10+2 है।
कई बहुतकनीकी संस्थान भी डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। एक वर्ष की अवधि के डिग्री पाठ्यक्रम ;बीएलआईएससीद्ध हेतु किसी भी विषय क्षेत्रा में स्नातक योग्यताधरी व्यक्ति पात्रा हैं। बीएलआईएससी डिग्री धारक व्यक्ति एक वर्ष की अवधि के मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम
;एमएलआईएससीद्ध का अध्ययन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पाठ्यक्रम मॉडल 2001 की सिपफारिश पर कई विश्वविद्यालयों ने अब दो वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू किए हैं जिनके तहत स्नातक के उपरांत मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम का अध्ययन कराया जाता है। एम.पिफल पाठ्यक्रम की अवधि एक वर्ष है जबकि पीएच.डी में तीन या पांच वर्ष तक लग जाते हैं। वर्तमान में
पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में शिक्षा छह स्तरों पर प्रदान की जाती है, जैसे कि प्रमाण-पत्रा ;सीएलआईएस सीद्धऋ डिप्लोमा ;डीएलआईएससीद्धऋ स्नातक डिग्री ;बीएल आईएससीद्धऋ मास्टर डिग्री ;एमएल आईएससीद्धऋ एम.पिफल, तथा पीएच.डीसूचना प्रौद्योगिकी उन्मुख पाठ्यक्रम :
कम्प्यूटरों की शुरुआत से पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान की प्रकृति में सम्पूर्ण विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया है। जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि अब पुस्तकालयों और सूचना केंद्रों में सूचना प्रोसेसिंग, भण्डारण, सुधार और विस्तारण कार्य में कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक इस्तेमाल किया जाने लगा है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तहत एनआईएम सीएआईआर द्वारा दो वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है जिसके तहत सूचना विज्ञान में एसोसिएटशिप ;एआईएसद्ध प्रदान की जाती है तथा भारतीय सांख्यिकी संस्थान ;बंगलौरद्ध में प्रलेखन अनुसंधन एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा प्रलेखन एवं सूचना विज्ञान में एसोसिएटशिप
;एडीआईएसद्ध का संचालन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रबंध्न विद्यालय ;आईएसआईएमद्ध, मैसूर विश्वविद्यालय ने भी जुलाई, 2007 के दौरान सूचना प्रणाली और प्रबंध्न में 2 वर्षीय एम.टेक कार्यक्रम शुरू किया है। पुस्तकालयों में कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए भारत में कई विश्वविद्यालयों ने मुख्यतः सूचना प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटर पर केन्द्रित विभिन्न
पाठ्यक्रम आरंभ किए हैं। ये पाठ्यक्रम हैं :
अ एमएससी ;सूचना विज्ञानद्ध।
अ मास्टर ऑपफ लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड
नेटवर्किंग।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन और नेटवर्किंग में
स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन में मास्टर्स डिग्री।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन में पीजी डिप्लोमा।
अ सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंध्न में मास्टर डिग्री।
अ सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
पाठ्यक्रम।
अ सूचना प्रणाली और प्रबंध्न में एम.टेक।
इन पाठ्यक्रमों से संबंध्ति विवरण विभिन्न वेबसाइटों जैसे कि पर उपलब्ध् हैं।
रोजगार के अवसर
पुस्तकालयाध्यक्ष के कार्य को अब अन्य अकादमिक विषयों की तरह मान्यता प्राप्त है और इसका श्रेय जाता है डॉ. एस.आररंगनाथन को, जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में सम्मान दिया जाता है। इस विषय को अब विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे कि पुस्तकालय विज्ञान, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान या साधरण सूचना विज्ञान/प्रशिक्षित पुस्तकालय व्यावसायिकों को
इस क्षेत्रा में शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में रोजगार के व्यापक अवसरों के साथ कार्य करने का संतोष प्राप्त हो सकता है। पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्रा में रोजगार के भिन्न-भिन्न अवसर प्राप्त होते हैं। दरअसल ऐसी लाइब्रेरी को चुना जा सकता है जो उसकी रुचि तथा पृष्ठभूमि के अनुकूल प्रतीत होती हो। पुस्तकालयों की विभिन्न किस्में हैं जिनमें रोजगार के व्यापक अवसर होते हैं। मुख्यतः
पुस्तकालयों को निम्नानुसार विभिन्न श्रेणियों में रखा जा सकता है : ;कद्ध अकादमिक पुस्तकालय, ;खद्ध सार्वजनिक पुस्तकालय, ;गद्ध विशेष पुस्तकालय, ;घद्ध सरकारी पुस्तकालय और ;घद्ध निजी पुस्तकालय/इसके अलावा राष्ट्रीय पुस्तकालय भी है। समाचार-पत्रों
की लाइब्रेरी की भी एक श्रेणी है। इसके अतिरिक्त विदेशी सरकारों ने भी अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के एक भाग के तौर पर कई शहरों में पुस्तकालय खोले हैं।
शिक्षण कार्य में रोजगार के अवसर
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लेक्चररशिप के लिए पात्राता के निर्धरण हेतु यूजीसी-नेट का भी एक विषय है। यदि कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को एक शिक्षक के रूप में अपनाना चाहता है तो उसे पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। शिक्षण में रोजगार विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, बहुतकनीकी संस्थानों और आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध् हैं।
पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अवसर
अपनी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताओं के अनुरूप आप इस व्यवसाय को एक पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अपना सकते हैं। पुस्तकालय से जुड़े व्यवसाय में पद निम्न प्रकार हो सकते हैं :
- पुस्तकालयाध्यक्ष,
प्रलेखन अधिकारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, उप- पुस्तकालयाध्यक्ष, वैज्ञानिक ;पुस्तकालय विज्ञान/प्रलेखनद्ध, पुस्तकालय एवं सूचना
अधिकारी, ज्ञान प्रबंध्क/अधिकारी, सूचना कार्यकारी, निदेशक/पुस्तकालय सेवाओं का अध्यक्ष, सूचना अध्किारी, सूचना विश्लेषक।
निम्नलिखित संस्थानों में रोजगार के अवसर उपलब्ध् हो सकते हैं :-
स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में।
अ भारत के 4 राष्ट्रीय पुस्तकालयों में, जैस कि राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाताऋ कैन्नोमरा पब्लिक लाइब्रेरी, चेन्नैऋ एशियाटिक सोसाइटी
लाइब्रेरी, मुंबईऋ दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, दिल्ली तथा राज्य पब्लिक पुस्तकालयों म भी।
अ भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक,
भारतीय रिजर्व बैंक, बैंक ऑपफ बड़ौदा
आदि जैसे बैंकों के प्रशिक्षण केंद्रों में।
अ राष्ट्रीय संग्रहालय और आलेखन संस्थानों में।
अ विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत गैर-सरकारी संगठन जैसे कि टीईआरआई, सीएसई आदि में।
अ आईसीएआर, सीएसआईआर, डीआरडीओ,
आईसीएसएमआर, आईसीएचआर,
आईसीएमआर, आईसीएपफआरई जैसे
अनुसंधान एवं विकास केंद्रों में।
अ टीसीएस, इन्पफोसिस, रिलायंस, पुंज लॉयड
आदि जैसे व्यावसायिक घरानों में।
अ पीएचडीसीसीआई, सीआईआई, एसोचैम
आदि जैसे वाणिज्यिक घरानों में।
अ दिल्ली में स्थित विदेशी दूतावासों तथा
उच्चायुक्त कार्यालयों में।
अ डब्ल्यूएचओ, यूनेस्को, यूएनओ, विश्व
बैंक, ब्रिटिश कौंसिल, अमेरिकन सेंटर,
आईसीआरआईएमएटी आदि जैसे
अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों में।
अ मंत्राालयों और अन्य सरकारी विभागों के
पुस्तकालयों में, जैसे कि संसदीय पुस्तकालय,
केंद्रीय सचिवालय पुस्तकालय, राज्य
विधानसभा सचिवालय लाइब्रेरी, एनआईसी,
डीएई, डीओई, डीएसटी, रेलवे, योजना
आयोग, प्रधनमंत्राी कार्यालय आदि में।
अ पुस्तकालय सॉफ्रटवेयर विकास कम्पनियों
और पफर्मों में।
अ व्यावसायिक कॉलेजों, जैसे कि चिकित्सा,
इंजीनियरिंग, कृषि, एम्स, आईआईएम,
आईआईटी तथा एनआईटी आदि में।
अ एनआईएससीएआईआर, डीईएसआईडीओ
सी, एनएएसएसडीओसी आदि जैसे राष्ट्रीय
स्तर के प्रलेखन केंद्रों में।
अ डेलनेट, कैलिबनेट, एडिनेट, इन्पफलीबनेट
आदि जैसे पुस्तकालय नेटवर्क में।
अ हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑपफ इंडिया जैसे
समाचार-पत्राों के पुस्तकालयों में।
अ दूरदर्शन, आजतक, जीन्यूज, स्टारन्यूज,
एनडीटीवी जैसे समाचार चैनलों में।
अ आकाशवाणी केंद्रों के पुस्तकालयों में।
इन्पफॉरमेटिक्स, साइंस/क्पतमबज, स्कोप्स,
स्प्रिन्जर आदि जैसे डॉटाबेस प्रदाताओं के
यहां।
अ प्रकाशन घरानों में।
अ विभिन्न डिजिटल पुस्तकालय परियोजनाओं
मेंऋ जैसे कि डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ
इंडिया' आदि।
अ आईएएस, आईपीएस, आईएपफएस,
एनडीए, आईएमए, ओटीए आदि जैसे
प्रशिक्षण अकादमियों में।
निष्कर्ष
पुस्तकालय और सूचना विज्ञान पाठ्यक्रमों की प्रचुरता से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है तथा डिग्रीधरियों की संख्या में भी वृ(ि हुई है। लेकिन अच्छे अकादमिक रिकार्ड और कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी में पर्याप्त कौशल रखने वालों के लिए यह व्यवसाय कापफी लाभप्रद हो सकता है।
आप अपने स्वयं के हित में प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों तथा रोजगार समाचार जैसे प्रकाशनों में जारी होने वाली अध्सिूचनाओं या वेबसाइटों के माध्यम से हमेशा पाठ्यक्रम, आवेदन की तिथियों, नए पाठ्यक्रमों की जानकारी, नई प्रतियोगी परीक्षाओं आदि के बारे में पूरी सावधनी बरतें। अपने परिश्रम,
दृढ़ता, स्थायित्व में विश्वास रखें तथा अपने ज्ञान, जागरुकता और कौशल को
बढ़ाते रहें।
पुस्तकालय विज्ञान शिक्षा कार्यक्रम
संचालित करने वाले विश्वविद्यालय
अ अलगप्पा विश्वविद्यालय, कराईकुडी।
अ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।
अ इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
अ अन्नामलाई विश्वविद्यालय,
अन्नामलाईनगर।
अ अवध्ेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय,
रीवा।
अ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर
विश्वविद्यालय, लखनऊ।
अ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी।
अ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
अ डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय,
आगरा।
अ डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय,
सागर।
अ गुलबर्गा विश्वविद्यालय, गुलबर्गा।
अ गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर।
अ गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।
अ हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय,
श्रीनगर-गढ़वाल।
अ जादवपुर विश्वविद्यालय, कलकत्ता।
अ जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली।
अ जिवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर।
अ कर्नाटक विश्वविद्यालय, धरवाड़।
अ इंदिरा गांध्ी राष्ट्रीय युक्त विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली।
अ कुरुक्षेत्रा विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्रा।
अ नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर।
अ पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग।
अ पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय,
रायपुर।
अ पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।
अ पटना विश्वविद्यालय, पटना।
अ पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला।
अ रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर।
अ संभलपुर विश्वविद्यालय, संभलपुर।
अ एसएनडीटी वूमैन्स विश्वविद्यालय, मुंबई।
अ दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
अ हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
अ जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू ;तवीद्ध।
अ कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर।
अ लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
अ मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नै।
अ मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर।
अ पुणे विश्वविद्यालय, पुणे।
अ राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
अ उ.प्र. राजश्री टंडन मुक्त विश्वविद्यालय,
इलाहाबाद।
अ विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन।
सूची सांकेतिक है।
दिशा तय होती है तथा हमारी जीवन शैली निर्धारित होती है। विकल्पों की विविध्ता की
वजह से कॅरिअर को चुनना आज कोई आसान पफैसला नहीं है। ऐसा अनुमान है कि हर वर्ष
लाखों शिक्षित रोजगार चाहने वाले व्यक्ति स्कूलों और कॉलेजों से बाहर निकलते हैं।
अपर्याप्त ज्ञान और अवास्तविक व्यावसायिक आकांक्षाओं के कारण इनमें से बड़ी संख्या में
परंपरागत कॅरिअर, जैसे कि सिविल सेवाएं, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, शिक्षा, रक्षा सेवाओं
आदि की तरपफ दौड़ते हैं, जहां पर उनके लिए सीमित विकल्प होते हैं। उन व्यक्तियों के लिए
हजारों की संख्या में रोजगार के विकल्प मौजूद हैं जो अपनी अभिरुचि तथा क्षमताओं से अवगत
हैं तथा सही सूचनाएं उपलब्ध् कराते हैं। पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में कॅरिअर का चुनाव
पुस्तकालयाध्यक्ष का मूल उद्देश्य ज्ञान का विस्तार करना है। पुस्तकालयों को अब विश्व
स्तर पर महत्वपूर्ण संस्थानों के रूप में मान्यता प्राप्त है। लोकतंत्रा के व्यापक फैलाव,
शिक्षा के विस्तार, अनुसंधन गतिविधियों के तीव्रीकरण तथा रिकार्डिड ज्ञान के उत्पादन में
त्वरित वृद्धि ने पुस्तकालयों के विस्तार और उनकी सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान
किया है। शिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि से पुस्तकालयों की आवश्यकता तथा महत्व में भी
वृद्धि हुई है। अतः पुस्तकालयाध्यक्ष का कार्य एक उभरता क्षेत्रा है जिसने ज्ञान की दुनिया में
अब अलग विषय-क्षेत्रा के रूप में स्थान अर्जित कर लिया है। इन पुस्तकालयों के प्रबंध्न के लिए
अच्छी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताएं रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
जो व्यक्ति पुस्तकालय के कॅरिअर में प्रवेश करन के इच्छुक हैं उनके पास आवश्यक अकादमिक
तथा व्यावसायिक योग्यताएं होती हैं जिससे वे पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में सपफलतापूर्वक कार्य
करने में सक्षम हो सकें। पुस्तकालयों द्वारा प्रदत्त सेवाओं को अब वर्तमान में उसकी सूचना सेवाओं की भूमिका के रूप में
परंपरागत प्राचीन पुस्तकालय कार्यों से मिश्रित करते हुए पुस्तकालय और सूचना सेवाएं'' के
नाम से पुकारा जाता है। कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने भी सूचना सेवाएं प्रदान करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। इस विषय क्षेत्रा से दो अन्य शब्द, जैसे कि
डॉक्यूमेंटेशन तथा सूचना भण्डारण और सुधर'' भी जुड़ गए हैं। अतः पुस्तकालयों के
अलावा अब प्रलेखन केंद्र और सूचना केंद्र भी काम कर रहे हैं। विभिन्न नामों का प्रयोग होने
के बावजूद इस विषय क्षेत्रा में जरूरतमंदों के लिए सूचना सेवाएं उपलब्ध् होती हैं।
शैक्षणिक अवसर परम्परागत पाठ्यक्रम-पुस्तकालय और सूचना विज्ञान मात्रा एक अकादमिक विषय-क्षेत्रा
नहीं है। यह एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है जिसमें व्यावहारिक, प्रेक्षण तथा प्रायोगिक अध्ययन शामिल हैं। इस विषय-क्षेत्रा में शिक्षा और प्रशिक्षण भारत में कई स्तरों पर उपलब्ध् है। विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित पुस्तकालय विज्ञान में औपचारिक शिक्षा की शुरुआत छह दशक से ज्यादा पुरानी नहीं है। इससे पूर्व यह प्रशिक्षण विभिन्न राज्यों में पुस्तकालयाध्यक्षों की एसोसिएशन द्वारा संचालित किए जाते थे। सामान्यतः ये छः माह की अवधि का होता है जिसके तहत प्रमाण-पत्रा प्रदान किए जाते हैं।
विश्वविद्यालयों द्वारा शुरू में एक वर्ष की अवधि के डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए गए जिन्हें बाद में अतिरिक्त पाठ्यक्रम जोड़ते हुए डिग्री स्तर का कर दिया गया। कई संस्थानों द्वारा अब भी प्रमाण-पत्रा पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। छह माह की अवधि का प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम सीएलआईएससी १०+२ परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों के लिए खुला है। विश्वविद्यालयों के अलावा पुस्तकालयाध्यक्षा की व्यावसायिक एसोसिएशन भी पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में प्रमाण-पत्रा पाठ्यक्रम संचालित करती है। एक वर्ष की अवधि का डीएलआईएससी पाठ्यक्रम ज्यादातर दूरस्थ शिक्षण माध्यम के जरिए उपलब्ध् हैं। इस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश योग्यता 10+2 है।
कई बहुतकनीकी संस्थान भी डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। एक वर्ष की अवधि के डिग्री पाठ्यक्रम ;बीएलआईएससीद्ध हेतु किसी भी विषय क्षेत्रा में स्नातक योग्यताधरी व्यक्ति पात्रा हैं। बीएलआईएससी डिग्री धारक व्यक्ति एक वर्ष की अवधि के मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम
;एमएलआईएससीद्ध का अध्ययन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पाठ्यक्रम मॉडल 2001 की सिपफारिश पर कई विश्वविद्यालयों ने अब दो वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू किए हैं जिनके तहत स्नातक के उपरांत मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम का अध्ययन कराया जाता है। एम.पिफल पाठ्यक्रम की अवधि एक वर्ष है जबकि पीएच.डी में तीन या पांच वर्ष तक लग जाते हैं। वर्तमान में
पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में शिक्षा छह स्तरों पर प्रदान की जाती है, जैसे कि प्रमाण-पत्रा ;सीएलआईएस सीद्धऋ डिप्लोमा ;डीएलआईएससीद्धऋ स्नातक डिग्री ;बीएल आईएससीद्धऋ मास्टर डिग्री ;एमएल आईएससीद्धऋ एम.पिफल, तथा पीएच.डीसूचना प्रौद्योगिकी उन्मुख पाठ्यक्रम :
कम्प्यूटरों की शुरुआत से पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान की प्रकृति में सम्पूर्ण विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया है। जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि अब पुस्तकालयों और सूचना केंद्रों में सूचना प्रोसेसिंग, भण्डारण, सुधार और विस्तारण कार्य में कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक इस्तेमाल किया जाने लगा है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तहत एनआईएम सीएआईआर द्वारा दो वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है जिसके तहत सूचना विज्ञान में एसोसिएटशिप ;एआईएसद्ध प्रदान की जाती है तथा भारतीय सांख्यिकी संस्थान ;बंगलौरद्ध में प्रलेखन अनुसंधन एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा प्रलेखन एवं सूचना विज्ञान में एसोसिएटशिप
;एडीआईएसद्ध का संचालन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रबंध्न विद्यालय ;आईएसआईएमद्ध, मैसूर विश्वविद्यालय ने भी जुलाई, 2007 के दौरान सूचना प्रणाली और प्रबंध्न में 2 वर्षीय एम.टेक कार्यक्रम शुरू किया है। पुस्तकालयों में कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए भारत में कई विश्वविद्यालयों ने मुख्यतः सूचना प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटर पर केन्द्रित विभिन्न
पाठ्यक्रम आरंभ किए हैं। ये पाठ्यक्रम हैं :
अ एमएससी ;सूचना विज्ञानद्ध।
अ मास्टर ऑपफ लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड
नेटवर्किंग।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन और नेटवर्किंग में
स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन में मास्टर्स डिग्री।
अ लाइब्रेरी ऑटोमेशन में पीजी डिप्लोमा।
अ सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंध्न में मास्टर डिग्री।
अ सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
पाठ्यक्रम।
अ सूचना प्रणाली और प्रबंध्न में एम.टेक।
इन पाठ्यक्रमों से संबंध्ति विवरण विभिन्न वेबसाइटों जैसे कि पर उपलब्ध् हैं।
रोजगार के अवसर
पुस्तकालयाध्यक्ष के कार्य को अब अन्य अकादमिक विषयों की तरह मान्यता प्राप्त है और इसका श्रेय जाता है डॉ. एस.आररंगनाथन को, जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में सम्मान दिया जाता है। इस विषय को अब विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे कि पुस्तकालय विज्ञान, पुस्तकालय और सूचना विज्ञान या साधरण सूचना विज्ञान/प्रशिक्षित पुस्तकालय व्यावसायिकों को
इस क्षेत्रा में शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में रोजगार के व्यापक अवसरों के साथ कार्य करने का संतोष प्राप्त हो सकता है। पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्रा में रोजगार के भिन्न-भिन्न अवसर प्राप्त होते हैं। दरअसल ऐसी लाइब्रेरी को चुना जा सकता है जो उसकी रुचि तथा पृष्ठभूमि के अनुकूल प्रतीत होती हो। पुस्तकालयों की विभिन्न किस्में हैं जिनमें रोजगार के व्यापक अवसर होते हैं। मुख्यतः
पुस्तकालयों को निम्नानुसार विभिन्न श्रेणियों में रखा जा सकता है : ;कद्ध अकादमिक पुस्तकालय, ;खद्ध सार्वजनिक पुस्तकालय, ;गद्ध विशेष पुस्तकालय, ;घद्ध सरकारी पुस्तकालय और ;घद्ध निजी पुस्तकालय/इसके अलावा राष्ट्रीय पुस्तकालय भी है। समाचार-पत्रों
की लाइब्रेरी की भी एक श्रेणी है। इसके अतिरिक्त विदेशी सरकारों ने भी अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के एक भाग के तौर पर कई शहरों में पुस्तकालय खोले हैं।
शिक्षण कार्य में रोजगार के अवसर
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लेक्चररशिप के लिए पात्राता के निर्धरण हेतु यूजीसी-नेट का भी एक विषय है। यदि कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को एक शिक्षक के रूप में अपनाना चाहता है तो उसे पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। शिक्षण में रोजगार विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, बहुतकनीकी संस्थानों और आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध् हैं।
पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अवसर
अपनी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताओं के अनुरूप आप इस व्यवसाय को एक पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अपना सकते हैं। पुस्तकालय से जुड़े व्यवसाय में पद निम्न प्रकार हो सकते हैं :
- पुस्तकालयाध्यक्ष,
प्रलेखन अधिकारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, उप- पुस्तकालयाध्यक्ष, वैज्ञानिक ;पुस्तकालय विज्ञान/प्रलेखनद्ध, पुस्तकालय एवं सूचना
अधिकारी, ज्ञान प्रबंध्क/अधिकारी, सूचना कार्यकारी, निदेशक/पुस्तकालय सेवाओं का अध्यक्ष, सूचना अध्किारी, सूचना विश्लेषक।
निम्नलिखित संस्थानों में रोजगार के अवसर उपलब्ध् हो सकते हैं :-
स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में।
अ भारत के 4 राष्ट्रीय पुस्तकालयों में, जैस कि राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाताऋ कैन्नोमरा पब्लिक लाइब्रेरी, चेन्नैऋ एशियाटिक सोसाइटी
लाइब्रेरी, मुंबईऋ दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, दिल्ली तथा राज्य पब्लिक पुस्तकालयों म भी।
अ भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक,
भारतीय रिजर्व बैंक, बैंक ऑपफ बड़ौदा
आदि जैसे बैंकों के प्रशिक्षण केंद्रों में।
अ राष्ट्रीय संग्रहालय और आलेखन संस्थानों में।
अ विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत गैर-सरकारी संगठन जैसे कि टीईआरआई, सीएसई आदि में।
अ आईसीएआर, सीएसआईआर, डीआरडीओ,
आईसीएसएमआर, आईसीएचआर,
आईसीएमआर, आईसीएपफआरई जैसे
अनुसंधान एवं विकास केंद्रों में।
अ टीसीएस, इन्पफोसिस, रिलायंस, पुंज लॉयड
आदि जैसे व्यावसायिक घरानों में।
अ पीएचडीसीसीआई, सीआईआई, एसोचैम
आदि जैसे वाणिज्यिक घरानों में।
अ दिल्ली में स्थित विदेशी दूतावासों तथा
उच्चायुक्त कार्यालयों में।
अ डब्ल्यूएचओ, यूनेस्को, यूएनओ, विश्व
बैंक, ब्रिटिश कौंसिल, अमेरिकन सेंटर,
आईसीआरआईएमएटी आदि जैसे
अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों में।
अ मंत्राालयों और अन्य सरकारी विभागों के
पुस्तकालयों में, जैसे कि संसदीय पुस्तकालय,
केंद्रीय सचिवालय पुस्तकालय, राज्य
विधानसभा सचिवालय लाइब्रेरी, एनआईसी,
डीएई, डीओई, डीएसटी, रेलवे, योजना
आयोग, प्रधनमंत्राी कार्यालय आदि में।
अ पुस्तकालय सॉफ्रटवेयर विकास कम्पनियों
और पफर्मों में।
अ व्यावसायिक कॉलेजों, जैसे कि चिकित्सा,
इंजीनियरिंग, कृषि, एम्स, आईआईएम,
आईआईटी तथा एनआईटी आदि में।
अ एनआईएससीएआईआर, डीईएसआईडीओ
सी, एनएएसएसडीओसी आदि जैसे राष्ट्रीय
स्तर के प्रलेखन केंद्रों में।
अ डेलनेट, कैलिबनेट, एडिनेट, इन्पफलीबनेट
आदि जैसे पुस्तकालय नेटवर्क में।
अ हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑपफ इंडिया जैसे
समाचार-पत्राों के पुस्तकालयों में।
अ दूरदर्शन, आजतक, जीन्यूज, स्टारन्यूज,
एनडीटीवी जैसे समाचार चैनलों में।
अ आकाशवाणी केंद्रों के पुस्तकालयों में।
इन्पफॉरमेटिक्स, साइंस/क्पतमबज, स्कोप्स,
स्प्रिन्जर आदि जैसे डॉटाबेस प्रदाताओं के
यहां।
अ प्रकाशन घरानों में।
अ विभिन्न डिजिटल पुस्तकालय परियोजनाओं
मेंऋ जैसे कि डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ
इंडिया' आदि।
अ आईएएस, आईपीएस, आईएपफएस,
एनडीए, आईएमए, ओटीए आदि जैसे
प्रशिक्षण अकादमियों में।
निष्कर्ष
पुस्तकालय और सूचना विज्ञान पाठ्यक्रमों की प्रचुरता से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है तथा डिग्रीधरियों की संख्या में भी वृ(ि हुई है। लेकिन अच्छे अकादमिक रिकार्ड और कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी में पर्याप्त कौशल रखने वालों के लिए यह व्यवसाय कापफी लाभप्रद हो सकता है।
आप अपने स्वयं के हित में प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों तथा रोजगार समाचार जैसे प्रकाशनों में जारी होने वाली अध्सिूचनाओं या वेबसाइटों के माध्यम से हमेशा पाठ्यक्रम, आवेदन की तिथियों, नए पाठ्यक्रमों की जानकारी, नई प्रतियोगी परीक्षाओं आदि के बारे में पूरी सावधनी बरतें। अपने परिश्रम,
दृढ़ता, स्थायित्व में विश्वास रखें तथा अपने ज्ञान, जागरुकता और कौशल को
बढ़ाते रहें।
पुस्तकालय विज्ञान शिक्षा कार्यक्रम
संचालित करने वाले विश्वविद्यालय
अ अलगप्पा विश्वविद्यालय, कराईकुडी।
अ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।
अ इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
अ अन्नामलाई विश्वविद्यालय,
अन्नामलाईनगर।
अ अवध्ेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय,
रीवा।
अ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर
विश्वविद्यालय, लखनऊ।
अ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी।
अ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
अ डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय,
आगरा।
अ डॉ. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय,
सागर।
अ गुलबर्गा विश्वविद्यालय, गुलबर्गा।
अ गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर।
अ गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।
अ हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय,
श्रीनगर-गढ़वाल।
अ जादवपुर विश्वविद्यालय, कलकत्ता।
अ जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली।
अ जिवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर।
अ कर्नाटक विश्वविद्यालय, धरवाड़।
अ इंदिरा गांध्ी राष्ट्रीय युक्त विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली।
अ कुरुक्षेत्रा विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्रा।
अ नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर।
अ पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग।
अ पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय,
रायपुर।
अ पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।
अ पटना विश्वविद्यालय, पटना।
अ पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला।
अ रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर।
अ संभलपुर विश्वविद्यालय, संभलपुर।
अ एसएनडीटी वूमैन्स विश्वविद्यालय, मुंबई।
अ दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
अ हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
अ जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू ;तवीद्ध।
अ कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर।
अ लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
अ मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नै।
अ मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर।
अ पुणे विश्वविद्यालय, पुणे।
अ राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
अ उ.प्र. राजश्री टंडन मुक्त विश्वविद्यालय,
इलाहाबाद।
अ विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन।
सूची सांकेतिक है।
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