डाटा वेयरहाउसिंग
विभिन्न स्त्रोतों से डाटा (सूचना) एकत्र कर उन्हें एक संयुक्त और व्यापक डाटाबेस में रखने को डाटा वेयरहाउसिंग या डाटा भंडारण कहते हैं। डाटा वेयरहाउसिंग में आमतौर पर रिपोर्ट, सर्वेक्षणों के नतीजे और अन्य सवाल संरक्षित किए जाते हैं जिनके आधार पर उसका गठन होता है। यह स्त्रोत व्यक्ति, संगठन की जरूरत के हिसाब से गठित किए जाते हैं। लेकिन शर्त सिर्फ इतनी होती है कि सिस्टम इस सूचना को अपने में सुरक्षित रखने लायक पुख्ता हो। इसका अंतिम नतीजा एक बहुआयामी डाटाबेस होता है, जिसमें आसानी से फेरबदल किया जा सके।
दरअसल, डाटा वेयरहाउसिंग का इस्तेमाल कंपनियों द्वारा नए चलनों की जानकारी के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कंपनियां रोजमर्रा के कार्य को परखने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उसका मुख्य कार्य दीर्घकालिक नीति-निर्धारण होता है। आमतौर पर डाटा वेयरहाउस में मौजूद डाटा रीड-ओनली मोड का होता है और यह रिपोर्ट आधारित सूचनाएं मुहैय्या कराता है।
डाटा वेयरहाउस का डाटा निरंतर अपडेट भी किया जाता है। रिपोर्टिग और आकलन संबंधी कार्य में कुछ अधिक समय लगता है। लेकिन डाटा वेयरहाउसिंग में ही किसी कंपनीके संपूर्ण डाटा को सेव नहीं रखा जाता, बल्कि उसमें विशिष्ट कार्य संबंधी डाटा ही रखा जाता है। अन्य जरूरी डाटा कई स्थानों पर रखा जाता है जिसे प्राप्त करना उतना आसान नहीं होता। बड़े संगठनों को व्यापारिक विस्तार संबंधी कार्य के लिए डाटा वेयरहाउसिंग की जरूरत पड़ती है। इसके विपरीत छोटी कंपनियों को अपने विशिष्ट कार्यो के लिए ही डाटा की जरूरत पड़ती है। डाटा वेयरहाउसिंग में अक्सर छोटे समूहों में डाटा सेव रहता है, जिन्हें डाटा मार्ट कहते हैं। इस तरह बड़ी कंपनियों के पास डाटा वेयरहाउसिंग और डाटा मार्ट दोनों सुविधाएं रहती हैं। इस तरह वह इस्तेमालकर्ताओं को उसकी मौजूदा जरूरतों संबंधी स्त्रोत और कार्यों को करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
तैयारी डेस्क
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें